Killer Soup Review: मनोज बाजपेयी और कोंकणा सेन शर्मा की जोड़ी नहीं कर पायी कमाल 

Killer Soup Review: कोंकणा सेन शर्मा और मनोज बाजपेयी जैसे दो मंझे हुए कलाकारों का जब साथ होता है, तो ज़ाहिर है कि उम्मीदें आसमान छूती हैं। ऐसे में नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ ‘किलर सूप’ के निर्देशक अभिषेक चौबे के कंधों पर तो ज़बरदस्त दबाव होना ही था। ये सीरीज़, जैसा कि मेकर्स का दावा है, ‘वास्तविक घटनाओं पर बहुत ही ढीले ढंग से आधारित’ है। लेकिन क्या ये सूप वाकई उतना ही ‘किलर’ है जैसा दावा किया जा रहा है या मसाले ज़्यादा पड़ गए हैं? आइए जानते हैं!

Killer Soup Review: अपराध और जांच की कहानी

Web Series : Killer Soup
निर्देशक : अभिषेक चौबे
कलाकार : मनोज बाजपेयी और कोंकणा सेन
कहाँ देखें : Netflix
Total Episodes : 8
रेटिंग : 2.5/5

किलर सूप, एक बेहतरीन तरीके से बुनी गई क्राइम थ्रिलर, बुद्धिमानी से लिखी और बेदाग़ अभिनय से सजी, विचित्र, चालाक और बेहद मनोरंजक है। इसके दो मुख्य किरदारों में से एक है स्वप्ना शेट्टी (कोंकणा सेन शर्मा), एक नाकामयाब कुक जो अपना खुद का रेस्टोरेंट खोलने का सपना देखती है।

उसका खुद में ही खोया पति, प्रभाकर ‘प्रभु’ शेट्टी (मनोज बाजपेयी), उसकी मदद करने का वादा करता है, लेकिन वह खुद को ढेरों बिज़नेस प्रोजेक्ट्स बिगाड़ने के बाद उबरने में ज़्यादा लगा हुआ है। उनकी शादी तो मानो आपदा का नुस्खा ही है।

प्रभु का गाली-गलौज वाला बड़ा भाई, अरविंद शेट्टी (सायजी शिंदे), भाईचारे के ज़ज्बे और कटु सच्चाई के बीच झूलता रहता है। वह हर मौके पर प्रभु को उसकी फिजूलखर्ची के लिए नीचा दिखाने से पीछे नहीं हटता। प्रभु बेशर्मी से बड़े भाई का मुंह मीठा कराता रहता है। बड़े भाई के अलमारी में भी ढेरों कंकाल छिपे हैं।

स्वप्ना, अपने पास न होने वाली चीज़ों और जो हैं उनसे भी निराश, एक मालिश वाले, उमेेश पिल्लई (बाजपेयी एक दोहरी भूमिका में) के साथ अफेयर कर रही है, जो शेट्टी भाइयों की सेवा करता है और उनके गंदे धंधों के बारे में बहुत कुछ जानता है।

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Killer Soup Review:रोमांचक शुरुआत, सीज़न के बीच में रफ़्तार ढीली

बेशक, पहले दो एपिसोड तो धमाकेदार थे, हर चीज़ एक के बाद एक फटफटाती हुई-सी लगती थी। लगा जैसे पूरी कहानी इन्हीं दो एपिसोड में भर दी गई है और बाकी छह एपिसोड में क्या बचेगा, ये सोचकर ही कौतूहल बढ़ जाता था।

पर जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, ऐसे-ऐसे मोड़ आते हैं कि आप सोचते रह जाते हैं कि आखिर आगे क्या होगा। भले ही कहानी ज़्यादा गहरी ना होती हो, मगर दर्शकों को ज़रूर बांधे रखती है।

लेकिन अब तक तो, बीच में आते-आते, दिमाग में यही सवाल कूटता है कि आखिर चौबे और क्या परोसेंगे? और ये हमेशा सकारात्मक नहीं रहा। चार एपिसोड में भी सीरीज़ खिंची-खिंची लगती है, और ये जानते हुए कि आगे और ढाई घंटे का कंटेंट बाकी है, तो शक होने लगता है कि क्या चौबे शुरूआती रफ्तार बरकरार रख पाएंगे। असल में, रफ्तार तो तीसरे एपिसोड से ही सुस्त होने लगती है।

Killer Soup Review: अच्छे कलाकारों के रहते भी सीरीज छाप नहीं छोर पायी 

कोंकणा सेन शर्मा और मनोज बाजपेयी तो बेदह कमाल के कलाकार हैं और ‘किलर सूप’ में भी उन्होंने बेदाग़ अभिनय किया है। पर, इन दोनों के बीच वो चिंगारी, वो खास कनेक्शन, जो आमतौर पर उनके किरदारों में देखने को मिलता है, वो कम से कम शुरुआती चार एपिसोड में तो नदारद ही नज़र आया।

कुछ किरदार तो ज़्यादा ही बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए हैं, जैसे स्वप्ना को खाना सिखाने वाले खानसामा। लेकिन कलाकारों ने उनका भी दिल से साथ दिया है। खासकर नासिर ने हसन के किरदार में धूम मचा दी है। एक शख्सियत जो अपने निजी हादसे के बाद आस-पास हो रही घटनाओं की तह तक जाने के लिए जुटा है।
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Killer Soup Review: Best Cinematography 

इस सीरीज़ को बेहद खूबसूरती से फिल्माया गया है। क्लोज़-अप शॉट्स कहानी को इतनी गहराई देते हैं (और सूप का स्वाद तक बढ़ा देते हैं)! और जब इसमें बेहतरीन कलाकारों के एक्सप्रेशन जुड़ जाते हैं, तो कहानी का असर तो चार गुना बढ़ जाता है।

अगर आप एक ज़बरदस्त ब्लैक कॉमेडी ढूंढ रहे हैं, तो ये सीरीज़ आपके लिए ही बनी है। आप ज़रूर मज़े लेंगे!

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